करवाचौथ आते ही बदला इन महिलाओं का मन, 'पिया के आंगन' में त्योहार मनाने को भूलीं 'गिले-शिकवे'

जो महिलाएं लगभग दस महीने से आशा ज्योति केंद्र, महिला थाना और पुलिस परामर्श केंद्र में पति और ससुरालीजनों के खिलाफ कार्रवाई के लिए प्रार्थनापत्र दे रहीं थी, उनमें से 37 का मन करवाचौथ नजदीक आते ही बदल गया। इन्होंने प्रार्थना पत्र देकर कहा कि वे पति के घर जाना चाहती हैं। पूछने पर बताया कि सुहाग का पर्व मायके में ही मनाना चाहती हैं। 


 

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। पिछले सालों में भी यह देखने में आया है कि जनवरी से दिसंबर तक इतने समझौते किसी और महीने में नहीं होते जितने उस महीने में होते हैं जिसमें करवाचौथ आता है।

2018 में करवाचौथ का पर्व अक्तूबर में ही था। कुल 62 समझौते हुए थे जबकि सितंबर और अगस्त में कुल मिलाकर 40 भी नहीं थे। 2019 में अब तक 22 हो चुके हैं। 13 तो पिछले तीन दिन में हुए हैं। वहीं आशा ज्योति केंद्र में 2018 में सात समझौते हुए। 2019  अक्तूबर में 15 समझौते हो चुके है।