भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं की साक्षी यमुना को भले ही ब्रजवासी महारानी, कालिंदी आदि नामों से पुकारते हों, लेकिन प्रदूषण रूपी कालिया आज भी उसके गले की फांस बना हुआ है। गंदे नालों का पानी यमुना में गिरने से लाख दावों के बाद रोका नहीं जा सका है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड यमुना जल को स्नान और आचमन योग्य नहीं मानता है।
हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक ने यमुना को प्रदूषण से बचाने के लिए कई दफा आदेश निर्देश जारी किए। अधिकारियों की क्लास तक लगाई लेकिन पूरे शहर की गंदगी को ढोने वाले नाले सीधे यमुना में गिरने से नहीं रोके जा सके। वर्तमान में भी नालों का गंदा पानी यमुना में जा रहा है।
कई बार हो चुकी है जलचर की मौत
इसके चलते केवल बारिश के दिनों को छोड़ कर यमुना जल में बीओडी की मात्रा 14 मिली ग्राम प्रति लीटर तक पहुंच जाती है। डीओ की मात्रा दो से तीन मिलीग्राम प्रति लीटर ही रह जाती है। कई दफा मछली तथा अन्य जलचर भी मर चुके हैं।